Pyar Se Bhari Kahani :: हम बेवाफा नहीं

Pyar Se Bhari Kahani: Hum Bewafa Nahi
प्यार से भरी कहानी: हम बेवाफा नहीं 

Pyar Se Bhari Kahani :: हम बेवाफा नहीं


क कप चाय मिलेगी." चलते-चलते ठिठक गयी थी मैं, नज़र उठाकर देखा तो बस देखती रह गयी. उन आंखों में न जाने कैसा सम्मोहन था. एक अजीब-सी कशिश थी उनकी आवाज़ मैं कुछ कहती उससे पहले ही वे चाय का कप मेरे हाथ से लेकर मुस्कुराते हुए आंखों से ओझल हो गए. 

कुछ जानती पहचानती उससे पहले ही मेरे दिल पर उनका जादू चल गया था... यही तो थी हमारी पहली मुलाक़ात,


जिसने कुछ  ही पलों में मेरी दुनिया बदल दी. यूं लगा मेरे ख़्वाबों का राजकुमार मुझे मिल गया

वे मेरे फूफेरे भाई के दोस्त थे और उन्हीं की शादी में शरीक होने के लिए आए थे. हर पल उनका व्यक्तित्व मेरे दिलो-दिमाग़ पर छाया रहता. तिलक की रस्म के बाद सभी रिश्तेदार हॉल में बैठे थे.

 नाच-गाने की महफ़िल जमी हुई थी. वे तबला बहुत अच्छा बजा लेते थे. उनकी तबले की थाप पर एक के बाद एक सभी नाच-गा रहे थे. मैं भी कहां रोक पायी ख़ुद को. थिरक ही उठी उनकी थाप पर


इस तरह हंसते-गाते शादी की रस्मों के बीच कब घर वापस जाने का वक़्त पास आ गया, पता ही नहीं चला. उनसे अलग होने का ख़याल ही दिल को बेचैन कर रहा था. दिल ने चाहा जा कर उन्हें अपने दिल का हाल बता दूं, पर किस तरह प्यार का इज़हार करूं, समझ में नहीं आ रहा था

यदि उनका जवाब ना हुआ तो? इसी डर से बिना कुछ कहे, बिना कुछ सुने अपने ख़्वाबों के साथ घर वापस आ गयी.


वहां से आने के बाद जैसे मेरी दुनिया ही बदल-सी गयी. हर वक्त अजीब-सी खामोशी व उदासी छायी रहती. हर पल उन्हीं का इंतजार रहता.

लेकिन मेरे ख्वाबों का महल उस दिन बिखर गया, जब पापा ने कहा कि कल तुम्हें देखने लड़केवाले आने वाले हैं. अपनी बेबसी पर दिल रो उठा. वह वक़्त भी आ गया जब तैयार करके मुझे कई अपरिचितों के बीच बैठा दिया गया. लेकिन जब निगाहें उठा कर देखा तो यक़ीन ही न हुआ. वे मेरे सामने बैठे मुस्कुरा रहे थे


पर ये क्या, मेरी ख़ुशी तो पल भर की ही थी, क्योंकि मेरे रिश्ते के लिए वे नहीं उनके पास बैठे उनके मित्र आए थे. उन लोगों के जाने के बाद मैंने दबी ज़बान से पापा से इल्तज़ा की थी. मैं शादी उन्हीं से करना चाहती हूं. तब पापा ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा, 

"तुम नहीं जानती वह लड़का एक दुर्घटना में अपनी आवाज़ खो चुका है और ऐसे लड़के के साथ मैं तुम्हारी शादी हरगिज़ नहीं कर सकता." पापा की बातें सुनकर मैं सन्न रह गयी. 

मैंने पापा से बहुत मिन्नतें कीं, पर वे नहीं माने और मुझे उन्हीं की मर्जी से मण्डप में बैठना पड़ा था

विवाह की रस्मों के बीच जब भी वे मेरे सामने आते, मुझे लगता कि उनके लब मुझे बेवफ़ा कह कर पुकार रहे हैं, वे तो ख़ामोश थे, लेकिन मेरा दिल बार-बार कह रहा था

हम बेवफा हरगिज़ न थे पर हम वफा कर न सके

܀܀܀܀܀

💓💔💕💖💗

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..... Pyar Se Bhari Kahani: Hum Bewafa Nahin [ Ends Here ]

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